विश्वरक्षामंत्र जापः

Vishwa Raksha Mantra Jaap

या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेश्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः |

श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि ! विश्वम् ||

सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी |
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ||

सौम्यानि यानि रूपाणि त्रैलोक्ये विचरन्ति ते |
यानि चात्यर्थघोराणि तै रक्षास्मां स्तथा भुवम् ||


अन्नदेवकी आरती जाप

Ann Dev Ki Aarti Jaap

आरती है अन्नदेव तुम्हारी, जाते रहती गुरु काया हमारी |

आरती है अन्नदेव तुमारीजी || टेक ||

राजा प्रजा जोगी आसनधारी सेनकरत गुरु सेवा तुमारी || १ ||

देवी देवता व्रह्मा व्रह्मचारी, सेनकरत गुरु सेवा तुमारी || २ ||

पीर पेगंबर छत्रछत्रधारी सेनकरत गुरु सेवा तुमारी || ३ ||

भनत गोरषनाथ सुननेजाधारी देवनमे देव अन्न मुरारी

आरती है अन्नदेव तुमारीजी || ४ ||